पीताम्बर दत्त बड़श्वाल

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पीताम्बर दत्त बड़श्वाल (जन्म- 2 दिसम्बर, 1901, गढ़वाल, उत्तराखण्ड; मृत्यु- 27 जुलाई, 1944) हिन्दी के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार और विद्वान आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सहयोगी रहे थे। इन्होंने 'गोरख बानी' और 'रामानन्द' की रचना की थी।[1]

  • पीताम्बर दत्त जी का जन्म गढ़वाल जनपद[2] में लैसडाउना अंचल के समीप पाली नामक ग्राम में हुआ था।
  • 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' के हिन्दी विभाग के प्रथम स्नातकोत्तर होने का गौरव इन्हें प्राप्त हुआ।
  • डॉ. श्यामसुन्दर दास के निर्देशन में पीताम्बर दत्त जी ने डी.लिट् की उपाधि धारण की थी, यह उपाधि धारण करने वाले आप प्रथम विद्वान थे।
  • इनका शोध प्रबन्ध 'हिन्दी काव्य के निपुण सम्प्रदाय’ बहुत प्रसिद्ध हुआ था। आपने दो वर्ष तक हिन्दी विभाग में अध्यापन किया।
  • 'नागरी प्रचारिणी सभा' के शोध विभाग के अवैतनिक संचालक और आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के सहयोगी के रूप में कई ग्रन्थों के संपादन और लेखन में भी पीताम्बर दत्त की उल्लेखनीय भूमिका रही थी।
  • 'गोरख बानी' और 'रामानन्द' इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
  • पीताम्बर दत्त बड़श्वाल के निबंधों का संग्रह 'मकरन्द' नाम से प्रकाशित हुआ था।
  • 27 जुलाई, 1944 को पीताम्बर दत्त बड़श्वाल का निधन हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशी के साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2014।
  2. पहले उत्तर प्रदेश के अंतर्गत

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