रघुवीर चौधरी

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रघुवीर चौधरी (अंग्रेज़ी:Raghuveer Chaudhari, जन्म: 5 दिसम्बर, 2015) गुजराती भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार, कवि एवं आलोचक हैं। वे अनेक समाचारपत्रों में स्तम्भलेखक भी रहे हैं। रघुवीर चौधरी ने गुजरात विश्वविद्यालय में अध्यापन किया और वर्ष 1998 में सेवानिवृत्त हुए। गुजराती के अलावा इन्होंने हिन्दी में भी लेखन कार्य किया है। सन् 1977 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था। रघुवीर चौधरी को वर्ष 2015 के लिये 51वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा हुई है।[1]

प्रमुख कृतियाँ

रघुवीर चौधरी की रचना 'रूद्र महालय' को गुजराती साहित्य की अमूल्य धरोहर माना जाता है। उन्होंने अब तक 80 से अधिक किताबें लिखी हैं। इनमें अमृता, सहवास, अंतर्वास, पूर्वरंग, वेणु वात्सल, तमाशा, त्रिलोगी उपर्वास, सोमतीर्थ और वृक्ष पतनमा प्रमुख हैं। रघुवीर चौधरी ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले चौथे गुजराती साहित्यकार हैं। उनसे पहले उमाशंकर जोशी, पन्नालाल पटेल और राजेंद्र शाह को यह सम्मान मिल चुका है।

नवलकथा
  • पूर्वराग
  • अमृता
  • परस्पर
  • रूद्र महालय
  • प्रेमअंश
  • इच्छावर
वार्ता संग्रह
  • आकस्मिक स्पर्श
  • गेरसमज
  • बहार कोई छे
  • नंदीघर
  • अतिथिगृह
एकांकी
  • डिमलाइट
  • त्रीजो पुरुष
कविता
  • तमसा
  • वहेतां वृक्ष पवनमां
  • उपरवासयत्री
नाटक
  • अशोकवन
  • झुलता मिनारा
  • सिकंदरसानी
  • नजीक

सम्मान

  • कुमार चंद्रक
  • उमास्नेहरश्मि पारितोषिक
  • साहित्य अकादमी दिल्ली का पुरस्कार
  • रणजितराम सुवर्णचंद्रक
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गुजराती लेखक रघुवीर चौधरी को ज्ञानपीठ पुरस्कार (हिन्दी) (html) वेब दुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 30 दिसम्बर, 2015।

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