कमला दास का साहित्यिक जीवन: Difference between revisions
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Latest revision as of 12:31, 15 September 2017
कमला दास का साहित्यिक जीवन
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पूरा नाम | कमला दास |
अन्य नाम | कमला सुरैया |
जन्म | 31 मार्च, 1934 |
जन्म भूमि | केरल |
मृत्यु | 31 मई, 2009 |
मृत्यु स्थान | पुणे, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | माधव दास |
संतान | माधव दास नालापत, चिन्नेन दास, जयसूर्या दास |
मुख्य रचनाएँ | दि साइरंस, समर इन कलकत्ता, दि डेस्केंडेंट्स, दि ओल्ड प्लेहाउस एंड अदर पोएम्स, कॉलेकटेड पोएम्स वाल्यूम एक। |
भाषा | अंग्रेज़ी, मलयालम |
पुरस्कार-उपाधि | अवार्ड ऑफ एशियन पेन एंथोलोजी, नोबेल पुरस्कार, साहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, केन्ट पुरस्कार आदि। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | कमला दास ने तमाम लंबे और टकराव से भरे दौरों से गुजराती कमला ने लगातार तीन दशकों तक कविता, कहानी, उपन्यास और आत्मवृत्त लिखे। |
अद्यतन | 06:06, 20 जून 2017 (IST) |
इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
कमला दास 15 साल की उम्र से कवितायें लिखने लगी थीं। उनकी माँ बालमणि अम्मा एक बहुत अच्छी कवयित्री थीं और उनके लेखन का कमला दास पर खासा असर पड़ा। यही कारण है कि उन्होंने कविताएँ लिखना शुरू किया।
रचनाएँ
कमला दास का शुमार भारत के समकालीन सर्वश्रेष्ठ लेखकों में होता रहा है। माधवी कुट्टी नाम से मशहूर कमला दास ने बेधड़क रचनाएं की। उनकी सबसे चर्चित और विवादास्पद रचना उनकी आत्मकथा है जिसका नाम है माई स्टोरी। 1976 में प्रकाशित इस किताब में समाज और व्यक्ति की मानसिकताओं की पड़ताल करते हुए कमला दास ने स्त्री पुरूष संबधों, विवाह की संस्था और इसके दायरे से बाहर के रिश्तों की वस्तुपरकता की मानवीय छानबीन की है। ये किताब इतनी लोकप्रिय हुई की दुनिया की करीब 15 भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ।
कमला दास का लेखन अंतरराष्ट्रीय साहित्य जगत् में भी ध्यान खींचता रहा। नोबेल की दावेदारी के लिए भी 1984 में नामांकित किया गया था। उन्हें कुछ जानकार सिमोन द बोउवार जैसी लेखिका के समकक्ष मानते हैं। साहित्य अकादमी सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित कमला दास की कविताओ की एक लोकप्रिय किताब का नाम है, सिर्फ आत्मा ही जानती है संगीत, ओनली सोल नोज़ हाऊ टू सिंग।
कमला दास का एक उपन्यास अल्फाबेट ऑफ लस्ट यानी वासना की वर्णमाला भी है। माना जाता है कि कमला दास ने जिस बेबाकी से स्त्री की यौन इच्छाओ और आकांक्षाओं को रचनाधर्मिता का विषय बनाया वैसा उनके और बाद के दौर के लेखन में कम ही हुआ है। हालांकि उर्दू में कुरर्तुलएन हैदर, इस्मत चुगताई और एक अलग स्तर पर हिंदी में अमृता प्रीतम और कृष्णा सोबती के लेखन में स्त्री की निजता के संसार का एक गहरा आलोक देखने को मिलता है। कविताओं के साथ कमला दास ने कहानियों में भी पाठकों की भारी प्रशंसा हासिल की तथा दुनिया के कई हिस्सो में उन्होंने कविताओं का पाठ किया है।
कविता
‘..मुङो नहीं दरकार छलनामय घरेलू सुखों,
गुड-नाइट चुंबनों या साप्ताहिक खतों की
जो, ‘माय डियरेस्ट’ संबोधन से शुरू होते हैं
उन ववाहिक कस्मों का खोखलापन
और डबलबैड का अकेलापन भी मैं जन चुकी हू,
जिस पर लेटा मेरा संगी स्वप्न देखता है किसी और का/ जो उसकी बीबी से कहीं बड़ी छिनाल है..’[1]
प्रकाशित पुस्तकें
कमला दास की अंग्रेज़ी में पंद्रह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं-
- The Sirens [दि साइरंस] (1964)
- Summer in Calcutta [समर इन कलकत्ता](1965)
- The Descendants [दि डेस्केंडेंट्स] (1967)
- The Old Playhouse and Other Poems [दि ओल्ड प्लेहाउस एंड अदर पोएम्स](1973)
- Collected Poems Vol. 1 [कॉलेकटेड पोएम्स वाल्यूम एक](1984)
- The Anamalai Poems [दि अनमलाई पोएम्स](1985)
- Only the Soul Knows How to Sing [ओनली दि सोल नोज हाऊ टू सिंग](1996)
- Yaa Allah [या अल्लाह] (2001)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (अन्नामलाई कविताओं से)
संबंधित लेख
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