ज्योति प्रसाद अग्रवाल: Difference between revisions

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==जन्म तथा शिक्षा==
==जन्म तथा शिक्षा==

Revision as of 10:45, 12 June 2014

ज्योति प्रसाद अग्रवाल
जन्म 17 जून, 1903
जन्म भूमि डिब्रूगढ़, असम
मृत्यु 17 जनवरी, 1951
मृत्यु स्थान तेजपुर, असम
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र लेखन, फ़िल्म निर्माण, स्वतंत्रता सेनानी
भाषा असमिया
प्रसिद्धि साहित्यकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी ज्योति प्रसाद अग्रवाल की संपूर्ण रचनाएं असम की सरकारी प्रकाशन संस्था ने चार खंडों में प्रकाशित की थीं। उनमें 10 नाटक और लगभग अतनी ही कहानियां, एक उपन्यास, 20 से ऊपर निबंध, तथा 359 गीतों का संकल्न है, जिनमें प्रायः सभी असमिया भाषा में लिखे गये हैं।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

ज्योति प्रसाद अग्रवाल (अंग्रेज़ी: Jyoti Prasad Agarwala ; जन्म- 17 जून, 1903, डिब्रूगढ़, असम; मृत्यु- 17 जनवरी, 1951, तेजपुर, असम) प्रसिद्ध साहित्यकार, स्वतंत्रता सेनानी और फ़िल्म निर्माता थे। वे बहुआयामी और विलक्षण प्रतिभा के संपन्न व्यक्ति थे। ज्योति प्रसाद अग्रवाल का शुभ आगमन ऐसे समय में हुआ, जब असमिया संस्कृति तथा सभ्यता अपने मूल रूप से विछिन्न होती जा रही थी। बहुमुखी प्रतिभा के धनी ज्योति प्रसाद अग्रवाल एक नाटककार, कथाकार, गीतकार, पत्र संपादक, संगीतकार तथा गायक सभी कुछ थे। मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने 'शोणित कुंवरी' नाटक की रचना कर असमिया साहित्य को समृद्ध कर दिया था।

जन्म तथा शिक्षा

ज्योति प्रसाद अग्रवाल का जन्म 17 जून, 1903 ई. को असम के डिब्रूगढ़ ज़िले में स्थित 'तामुलबारी' नामक चाय के बागान में हुआ था। इनके पिता का नाम परमानंद अग्रवाल तथा माता किरनमोई अग्रवाल थीं। इनका परिवार वर्ष 1811 ई. में राजस्थान के मारवाड़ से असम में आकर बस गया था। इन्होंने अपनी शिक्षा असम तथा कोलकाता में पाई थी। ज्योति प्रसाद जी ने वर्ष 1921 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। यद्यपि इस दौरान असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हो जाने पर उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन आन्दोलन रुक जाने पर कोलकाता के 'नेशनल कॉलेज' में प्रवेश ले लिया था। इसके बाद वे 1926 में इकॉनोमिक्स के अध्ययन के लिए इंग्लैण्ड चले गए और फिर शिक्षा पूर्ण कर 1930 में स्वदेश लौट आए।

हिमांशु राय से भेंट

इंग्लैण्ड में शिक्षा पूरी करने के बाद ज्योति प्रसाद अग्रवाल कुछ समय के लिए जर्मनी चले गए थे, जहाँ उनका संपर्क हिमांशु राय से हुआ। राय से उन्हें सिनेमा निर्माण की कला सीखने का अवसर मिला। 1930 में भारत आते ही ज्योति प्रसाद फिर असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हो गए और उन्हें 15 महीने की कैद की सज़ा मिली।

फ़िल्म निर्माण

जर्मनी मे सीखी फ़िल्म-निर्माण कला का उपयोग करके ज्योति प्रसाद अग्रवाल ने वर्ष 1935 में असमिया साहित्यकार लक्ष्मीकांत बेजबरूआ के ऐतिहासिक नाटक 'ज्योमति कुंवारी' को आधार मानकर प्रथम असमिया फ़िल्म बनाई। वे इस फ़िल्म के निर्माता, निर्देशक, पटकथाकार, सेट डिजाइनर, संगीत तथा नृत्य निर्देशक सभी कुछ थे। ज्योति प्रसाद ने दो सहयोगियों बोडो कला गुरु विष्णु प्रसाद सभा और फणि शर्मा के साथ असमिया जन-संस्कृति को एक नई चेतना दी। यह असमिया जातिय इतिहास का स्वर्ण युग था।

रचनाएँ

ज्योति प्रसाद अग्रवाल की संपूर्ण रचनाएं असम की सरकारी प्रकाशन संस्था ने चार खंडों में प्रकाशित की थीं। उनमें 10 नाटक और लगभग अतनी ही कहानियां, एक उपन्यास, 20 से ऊपर निबंध, तथा 359 गीतों का संकल्न है, जिनमें प्रायः सभी असमिया भाषा में लिखे गये हैं। तीन-चार गीत हिन्दी में और कुछ अंग्रेज़ी में नाटक भी लिखे गये हैं। असम सरकार प्रत्येक वर्ष 17 जनवरी को ज्योति प्रसाद की पुण्यतिथि को 'शिल्पी दिवस' के रूप में मनाती है। इस दिन पूरे असम प्रदेश में सार्वजनिक छुट्टी रहती है। सरकारी प्रायोजनों के अतिरिक्त शिक्षण संस्थाओं में बड़े उत्साह से कार्यक्रम पेश किये जाते हैं। जगह-जगह प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं, साहित्यिक गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं।

निधन

17 जनवरी, 1951 ई. को ज्योति प्रसाद अग्रवाल का देहांत हो गया। उनके द्वारा लिखे गए अनेक नाटक बहुत प्रसिद्ध हुए थे। उन्होंने लोक कलाओं को भी बहुत प्रोत्साहित किया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

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