मंगलसूत्र -प्रेमचंद: Difference between revisions

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'''[[प्रेमचंद]] द्वारा लिखित 'मंगलसूत्र' उपन्यास उनका अपूर्ण उपन्यास''' है। 1936 ई. में अपने अंतिम दिनों में प्रेमचंद 'मंगलसूत्र'  उपन्यास लिख रहे थे किंतु वे उसे पूर्ण न सके। इस उपन्यास का अंतिम रूप क्या होता, यह तो कहना कठिन है तो भी ऐसी प्रतीत होता है कि वे इसकी रचना आत्मकथात्मक रूप में करना चाहते थे।
;कथानक
;कथानक

Latest revision as of 10:38, 28 November 2011

मंगलसूत्र -प्रेमचंद
लेखक मुंशी प्रेमचंद
देश भारत
पृष्ठ: 4 अध्याय
भाषा हिन्दी
विषय साहित्यिक के जीवन की समस्या
प्रकार उपन्यास

प्रेमचंद द्वारा लिखित 'मंगलसूत्र' उपन्यास उनका अपूर्ण उपन्यास है। 1936 ई. में अपने अंतिम दिनों में प्रेमचंद 'मंगलसूत्र' उपन्यास लिख रहे थे किंतु वे उसे पूर्ण न सके। इस उपन्यास का अंतिम रूप क्या होता, यह तो कहना कठिन है तो भी ऐसी प्रतीत होता है कि वे इसकी रचना आत्मकथात्मक रूप में करना चाहते थे।

कथानक

'मंगलसूत्र' में एक साहित्यिक के जीवन की समस्या गयी है। इसी दृष्टि से यह उपन्यास प्रेमचंद्र के अन्य उपन्यासों से भिन्न है। इसके चार अध्यायों में देव साहित्य-साधना में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। उन्हें कुछ व्यसन भी लगे हुए हैं। इन दोनों कारणों से उनका भौतिक जीवन तो सुखी नहीं होता। हाँ, उन्हें ख्याति अवश्य प्राप्त होती है। उनके दो पुत्र, वकील संतकुमार और मधुकुमार हैं। ज्येष्ठ पुत्र संतकुमार जीवन में सुख और ऐश्रर्य चाहता है और पिता की जीवनदर्शन का समर्थन नहीं करता। छोटा पुत्र उनके विचारों और आर्दशों से सहमत है। वह भी पिता की भाँति आदर्शवादी है। प्रेमचंद्र ने देवकुमार को जीवन के संघर्षों के फलस्वरूप स्वनिर्धारित आदर्श से विचलित होता हुआ सा चित्रित किया है। भविष्य में क्या होता, इसका अनुमान मात्र प्रेमचंद्र की पिछली कृतियों के आधार पर किया जा सकता है। देवकुमार की एक पुत्री पंकजा भी है, जिसका विवाह हो जाता है।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ


धीरेंद्र, वर्मा “भाग- 2 पर आधारित”, हिंदी साहित्य कोश (हिंदी), 417।

बाहरी कड़ियाँ

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