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<div style="padding-left:8px; background:#ecd9c5; border:thin solid #b79876;">'''विशेष आलेख'''</div>
<div style="padding-left:8px; background:#ecd9c5; border:thin solid #b79876;">'''विशेष आलेख'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[वेद]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[हिन्दू धर्म]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Ved-merge.jpg|right|120px|वेद|link=वेद]] </div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Swt red.jpg|right|120px|स्वस्तिक|link=हिन्दू धर्म]] </div>
*'वेद' [[हिन्दू धर्म]] के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, जिससे वैदिक [[संस्कृति]] प्रचलित हुई।
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*वेद प्राचीन [[भारत]] के '''वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति''' है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हज़ार वर्षों से चली आ रही है।  
        '''[[हिन्दू धर्म]]''' [[भारत]] का सर्वप्रमुख धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। [[ईसाई धर्म|ईसाई]], [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]], [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]], [[जैन धर्म|जैन]] आदि धर्मों के समान हिन्दू धर्म किसी पैगम्बर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। एक विकासशील धर्म होने के कारण विभिन्न कालों में इसमें नये-नये आयाम जुड़ते गये। वास्तव में हिन्दू धर्म इतने विशाल परिदृश्य वाला धर्म है कि उसमें आदिम ग्राम [[देवता|देवताओं]], भूत-पिशाची, स्थानीय देवी-देवताओं, झाड़-फूँक, तंत्र-मत्र से लेकर त्रिदेव एवं अन्य देवताओं तथा निराकार ब्रह्म और अत्यंत गूढ़ दर्शन तक, सभी बिना किसी अन्तर्विरोध के समाहित हैं और स्थान एवं व्यक्ति विशेष के अनुसार सभी की आराधना होती है। वास्तव में हिन्दू धर्म लघु एवं महान् परम्पराओं का उत्तम समन्वय दर्शाता है। एक ओर इसमें वैदिक तथा पुराणकालीन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है, तो दूसरी ओर कापलिक और अवधूतों द्वारा भी अत्यंत भयावह कर्मकांडीय आराधना की जाती है। '''[[हिन्दू धर्म|.... और पढ़ें]]'''
*वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। '''वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।'''
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*वर्तमान काल में वेद चार माने जाते हैं। उनके नाम हैं- '''[[ॠग्वेद]], [[यजुर्वेद]], [[सामवेद]] और [[अथर्ववेद]]।'''
*ऋग्वेद में '''मण्डल 10 हैं, 1028 सूक्त हैं और 11 हज़ार मन्त्र हैं।''' इसमें 5 शाखायें हैं - शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन।
*अथर्ववेद में जादू, चमत्कार, आरोग्य, [[यज्ञ]] के लिये मन्त्र हैं, इसमें 20 काण्ड हैं। अथर्ववेद में आठ खण्ड आते हैं जिनमें '''भेषज वेद एवं धातु वेद''' ये दो नाम स्पष्ट प्राप्त हैं।
*सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित [[सायणाचार्य]] अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि ''''इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:'''' '''[[वेद|.... और पढ़ें]]'''
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<div style="padding-left:8px; background:#f6e5d3; border:thin solid #c1a280;">'''चयनित लेख'''</div>
<div style="padding-left:8px; background:#f6e5d3; border:thin solid #c1a280;">'''चयनित लेख'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[पुराण]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[गणेश]]'''</div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Puran-1.png|right|120px|पुराण|link=पुराण]] </div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Ganesa-Mathura-Museum-35.jpg|right|120px|गणेश, राजकीय संग्रहालय मथुरा|link=गणेश]] </div>
*पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है, ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों को '''मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण''' भी कहा जा सकता है।  
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*पुराणों में हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी '''भाषा सरल और कथा कहानी''' की तरह है।
        '''[[गणेश]]''' [[भारत]] के अति प्राचीन देवता हैं। [[ऋग्वेद]] में गणपति शब्द आया है। [[यजुर्वेद]] में भी इनका उल्लेख है। पुराणों में गणेश के संबंध में अनेक आख्यान वर्णित है। एक के अनुसार [[शनि देव|शनि]] की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जल कर भस्म हो गया। इस पर दुःखी [[पार्वती]] से [[ब्रह्मा]] ने कहा- जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो। पहला सिर [[हाथी]] के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश ‘गजानन’ बन गए। धार्मिक मान्यतानुसार [[हिन्दू धर्म]] में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। सभी [[देवता|देवताओं]] में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। [[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[चतुर्थी]] को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। ये भगवान [[शिव]] और [[पार्वती देवी|पार्वती]] के दूसरे पुत्र हैं। भगवान गणेश का स्वरूप अत्यन्त ही मनोहर एवं मंगलदायक है। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं।  '''[[गणेश|.... और पढ़ें]]'''
*पुराण वस्तुतः वेदों का विस्तार हैं। वेद बहुत ही जटिल तथा शुष्क भाषा-शैली में लिखे गए हैं। [[वेदव्यास]] जी ने पुराणों की रचना और पुनर्रचना की।
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*पुराण शब्द ‘पुरा’ एवं ‘अण’ शब्दों की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ -‘पुराना’ अथवा ‘प्राचीन’ होता है। ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत और ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है- कहना या बतलाना।
*संसार की रचना करते समय [[ब्रह्मा]] जी ने एक ही पुराण की रचना की थी। जिसमें एक '''अरब श्लोक''' थे। यह पुराण बहुत ही विशाल और कठिन था। '''[[पुराण|.... और पढ़ें]]'''
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Latest revision as of 07:55, 12 May 2021

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  • यहाँ हम भारत के विभिन्न धर्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।
  • यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई, यहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है। आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति का प्राणतत्त्व है। इनमें ऐहिक अथवा भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है।
  1. REDIRECTसाँचा:विशेष2
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
विशेष आलेख

        हिन्दू धर्म भारत का सर्वप्रमुख धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। ईसाई, इस्लाम, बौद्ध, जैन आदि धर्मों के समान हिन्दू धर्म किसी पैगम्बर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। एक विकासशील धर्म होने के कारण विभिन्न कालों में इसमें नये-नये आयाम जुड़ते गये। वास्तव में हिन्दू धर्म इतने विशाल परिदृश्य वाला धर्म है कि उसमें आदिम ग्राम देवताओं, भूत-पिशाची, स्थानीय देवी-देवताओं, झाड़-फूँक, तंत्र-मत्र से लेकर त्रिदेव एवं अन्य देवताओं तथा निराकार ब्रह्म और अत्यंत गूढ़ दर्शन तक, सभी बिना किसी अन्तर्विरोध के समाहित हैं और स्थान एवं व्यक्ति विशेष के अनुसार सभी की आराधना होती है। वास्तव में हिन्दू धर्म लघु एवं महान् परम्पराओं का उत्तम समन्वय दर्शाता है। एक ओर इसमें वैदिक तथा पुराणकालीन देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना होती है, तो दूसरी ओर कापलिक और अवधूतों द्वारा भी अत्यंत भयावह कर्मकांडीय आराधना की जाती है। .... और पढ़ें

चयनित लेख

        गणेश भारत के अति प्राचीन देवता हैं। ऋग्वेद में गणपति शब्द आया है। यजुर्वेद में भी इनका उल्लेख है। पुराणों में गणेश के संबंध में अनेक आख्यान वर्णित है। एक के अनुसार शनि की दृष्टि पड़ने से शिशु गणेश का सिर जल कर भस्म हो गया। इस पर दुःखी पार्वती से ब्रह्मा ने कहा- जिसका सिर सर्वप्रथम मिले उसे गणेश के सिर पर लगा दो। पहला सिर हाथी के बच्चे का ही मिला। इस प्रकार गणेश ‘गजानन’ बन गए। धार्मिक मान्यतानुसार हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। सभी देवताओं में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। ये भगवान शिव और पार्वती के दूसरे पुत्र हैं। भगवान गणेश का स्वरूप अत्यन्त ही मनोहर एवं मंगलदायक है। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। .... और पढ़ें

कुछ लेख
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