प्रांगण:मुखपृष्ठ/धर्म: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
Line 1: Line 1:
{| width="100%"
{| width="100%"
|
|
{| width="100%" style="background:#fcfbfc; border:1px solid #a7d7f9; border-top:none; padding:none;"  cellspacing="0"  cellpadding="0"
{| width="100%" style="background:#fcfbfc; border:1px solid #b79876; border-top:none; padding:none;"  cellspacing="0"  cellpadding="0"
| valign="top"|
| valign="top"|
{| style="margin:0; width:100%" cellpadding="0" cellspacing="0"
{| style="margin:0; width:100%" cellpadding="0" cellspacing="0"
|- class="headbg37"
|- class="bgdharmportal"
| class="portal-menu" style="border-left:none; width:7%"|[[मुखपृष्ठ]]
| class="portal-menu" style="border-left:none; width:7%"|[[मुखपृष्ठ]]
| class="portal-menu" style="width:10%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/भारत गणराज्य|गणराज्य]]
| class="portal-menu" style="width:10%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/भारत गणराज्य|गणराज्य]]
Line 18: Line 18:
| class="portal-menu" style="width:6%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/भाषा|भाषा]]
| class="portal-menu" style="width:6%;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ/भाषा|भाषा]]
| class="portal-menu" style="width:13%; border-right:none;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ|सभी विषय]]
| class="portal-menu" style="width:13%; border-right:none;"|[[प्रांगण:मुखपृष्ठ|सभी विषय]]
|- style=" padding-top:none;" class="headbg37"
|- style=" padding-top:none;" class="bgdharmportal"
| colspan="13"|
| colspan="13"|
{| width="100%" style="background:transparent;" border="0"
{| width="100%" style="background:transparent;" border="0"
Line 114: Line 114:
{{धर्म साँचे सूची}}
{{धर्म साँचे सूची}}
|}
|}
{{#css:
.portal-menu {
background:#fcfbfc;
border:1px solid #b79876;
}
}}
__NOTOC__
__NOTOC__
__NOEDITSECTION__
__NOEDITSECTION__

Revision as of 11:38, 22 May 2011

मुखपृष्ठ गणराज्य इतिहास पर्यटन साहित्य जीवनी दर्शन धर्म संस्कृति भूगोल कला भाषा सभी विषय
  • यहाँ हम भारत के विभिन्न धर्मों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • भारतीय संस्कृति की मूल विशेषता यह रही है कि व्यक्ति अपनी परिस्थितियों के अनुरूप मूल्यों की रक्षा करते हुए कोई भी मत, विचार अथवा धर्म अपना सकता है।


  1. REDIRECTसाँचा:विशेष2

center|

  • यहाँ हिन्दू धर्म के अगणित रूपों और संप्रदायों के अतिरिक्त, बौद्ध, जैन, सिक्ख, इस्लाम, ईसाई, यहूदी आदि धर्मों की विविधता का भी एक सांस्कृतिक समायोजन देखने को मिलता है।
  • आध्यात्मिकता हमारी संस्कृति का प्राणतत्त्व है। इनमें ऐहिक अथवा भौतिक सुखों की तुलना में आत्मिक अथवा पारलौकिक सुख के प्रति आग्रह देखा जा सकता है।
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
विशेष आलेख
  • 'वेद' हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है, जिससे वैदिक संस्कृति प्रचलित हुई।
  • वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल की वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हज़ार वर्षों से चली आ रही है।
  • वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ हैं। वेद के असल मन्त्र भाग को संहिता कहते हैं।
  • वर्तमान काल में वेद चार माने जाते हैं। उनके नाम हैं- ॠग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद
  • ऋग्वेद में मण्डल 10 हैं, 1028 सूक्त हैं और 11 हज़ार मन्त्र हैं। इसमें 5 शाखायें हैं - शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन।
  • अथर्ववेद में जादू, चमत्कार, आरोग्य, यज्ञ के लिये मन्त्र हैं, इसमें 20 काण्ड हैं। अथर्ववेद में आठ खण्ड आते हैं जिनमें भेषज वेद एवं धातु वेद ये दो नाम स्पष्ट प्राप्त हैं।
  • सुप्रसिद्ध वेदभाष्यकार महान पण्डित सायणाचार्य अपने वेदभाष्य में लिखते हैं कि 'इष्टप्राप्त्यनिष्टपरिहारयोरलौकिकमुपायं यो ग्रन्थो वेदयति स वेद:' .... और पढ़ें
चयनित लेख
  • पुराणों की रचना वैदिक काल के काफ़ी बाद की है, ये स्मृति विभाग में रखे जाते हैं। पुराणों को मनुष्य के भूत, भविष्य, वर्तमान का दर्पण भी कहा जा सकता है।
  • पुराणों में हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है। इनकी भाषा सरल और कथा कहानी की तरह है।
  • पुराण वस्तुतः वेदों का विस्तार हैं। वेद बहुत ही जटिल तथा शुष्क भाषा-शैली में लिखे गए हैं। वेदव्यास जी ने पुराणों की रचना और पुनर्रचना की।
  • पुराण शब्द ‘पुरा’ एवं ‘अण’ शब्दों की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ -‘पुराना’ अथवा ‘प्राचीन’ होता है। ‘पुरा’ शब्द का अर्थ है - अनागत एवं अतीत और ‘अण’ शब्द का अर्थ होता है- कहना या बतलाना।
  • संसार की रचना करते समय ब्रह्मा जी ने एक ही पुराण की रचना की थी। जिसमें एक अरब श्लोक थे। यह पुराण बहुत ही विशाल और कठिन था। .... और पढ़ें
कुछ लेख
धर्म श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

300px|ईसा मसीह की प्रतिमा|center


ईसा मसीह की प्रतिमा

संबंधित लेख